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Guru Granth Sahib Prakash Utsav: 420वें प्रकाशोत्सव की ऐतिहासिक महत्व

Guru Granth Sahib Prakash Utsav: गुरु ग्रंथ साहिब प्रकाश उत्सव एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है जो सिख समुदाय में अत्यंत श्रद्धा और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पहली बार तैनाती के अवसर पर मनाया जाता है। इस वर्ष, हम इस ग्रंथ के 420वें प्रकाशोत्सव का उत्सव मना रहे हैं, जो हमें इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की याद दिलाता है।

 Guru Granth Sahib Prakash Utsav: 420वें प्रकाशोत्सव की ऐतिहासिक महत्व

गुरु ग्रंथ साहिब का इतिहास

गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाशोत्सव, पंजाबी कैलेंडर के छठे महीने और पश्चिमी कैलेंडर के अगस्त या सितंबर के महीने में मनाया जाता है। यह उत्सव भाद्रपद महीने के अमावस्या के दिन आयोजित किया जाता है। इस दिन को याद करने का प्रमुख कारण 1604 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में गुरु ग्रंथ साहिब की पहली बार तैनाती (प्रकाश) की घटना है।

गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा अंतिम और स्थायी गुरु के रूप में घोषित किया गया था। इस ग्रंथ में सभी गुरुओं की वाणी शामिल है, जिसे ‘गुरुबाणी’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘गुरु के मुख से’।

गुरु ग्रंथ साहिब में कुल 1430 पृष्ठ हैं। जब गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने शरीर को छोड़ा, तो उन्होंने सिख समुदाय को आदेश दिया कि अब उनका गुरु ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब’ होगा।

गुरु अर्जुन देव जी द्वारा प्रथम प्रकाश

गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश गुरु अर्जुन देव जी द्वारा 1604 में दरबार साहिब में किया गया था। इसके बाद से हर साल गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश पर्व धार्मिक श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है। इसे ‘आदि ग्रंथ’ के नाम से भी जाना जाता है।

गुरु अर्जुन देव जी ने गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाश के बारे में कहा कि यह ग्रंथ एक जहाज के समान है जो हमें इस सांसारिक समुद्र को पार करने में मदद करता है। जो कोई इसके उपदेशों को सुनेगा, उसका पाठ करेगा, उनका पालन करेगा और उन पर अमल करेगा, वह इस सांसारिक सागर को आसानी से पार कर सकेगा।

गुरु अर्जुन देव जी का उपदेश

गुरु अर्जुन देव जी ने कहा था कि आदि ग्रंथ को खुद से अधिक सम्मान देना चाहिए। गुरबाणी हमेशा उनके जीवन को प्रकाशमान करती रहेगी। उनका यह उपदेश सिख समुदाय के लिए अमूल्य है और आज भी उनकी वाणी को अनुसरण किया जाता है।

गुरु ग्रंथ साहिब का लेखन और संरचना

गुरु ग्रंथ साहिब को गुरमुखी में लिखा गया है। इसमें ब्रज, संस्कृत, उर्दू जैसी विभिन्न भाषाओं का समावेश है। गुरु ग्रंथ साहिब की शुरुआत गुरु नानक देव जी ने अपने पवित्र श्लोकों के संग्रह के रूप में की थी। इसके बाद, कई अन्य गुरुओं ने इस ग्रंथ में योगदान किया। सिखों का विश्वास है कि गुरु ग्रंथ साहिब एक शाश्वत जीवित गुरु है।

प्रकाशोत्सव के दिन किए जाने वाले कार्य

प्रकाशोत्सव के दिन विशेष धार्मिक अनुष्ठान और पूजा की जाती है। निम्नलिखित गतिविधियाँ आमतौर पर इस दिन की जाती हैं:

1. नगर कीर्तन: गुरुद्वारे से नगर कीर्तन निकाला जाता है। यह एक धार्मिक जुलूस होता है जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब की वाणी का प्रचार किया जाता है।

2. धार्मिक उपदेश: उद्घोषक गुरु ग्रंथ साहिब के उपदेशों को उजागर करते हैं और उसके पालन के लिए प्रेरित करते हैं।

3. धार्मिक अनुष्ठान और पूजा: इस दिन विशेष पूजा और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

4. गुरुद्वारे में दर्शन: सुबह अरदास के बाद, गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुद्वारे के मुख्य कक्ष में लाया जाता है ताकि भक्त उसे दर्शन कर सकें।

5. प्रकाश पर्व की समाप्ति: श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश पर्व की समाप्ति रात 8 बजे होती है। इसके बाद अरदास की जाती है और ग्रंथ को उसके स्थान पर पुनः स्थापित किया जाता है।

निष्कर्ष

गुरु ग्रंथ साहिब प्रकाश उत्सव सिख धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह उत्सव गुरु ग्रंथ साहिब की वाणी और शिक्षाओं को सम्मान देने का दिन है और इसे पूरे धार्मिक श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है। यह दिन हमें गुरु की वाणी और उपदेशों की अमूल्यता की याद दिलाता है और हमें उनके मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

इस 420वें प्रकाशोत्सव पर, हम सभी को गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेना चाहिए और इस पवित्र ग्रंथ की दिव्यता को महसूस करना चाहिए। यह अवसर हमें गुरु की कृपा और आशीर्वाद को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।

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